धर्मजयगढ़ वन्य जीव हत्या मामले में अपराधियों के बचाव में सरपंच की भूमिका कितनी उचीत।

ग्राम दर्पण न्यूज़
धरमजयगढ़ अपराध के बचाव में सरपंच जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के सामने आने से कानून और नागरिकों के मध्य कानून का परिपालन प्रतिबद्धता को लेकर क्या संदेश जाएगा
धरमजयगढ़ वन मंडल में दो जंगली सुअरों का शिकार के आरोप में ग्राम कोइलार के सरपंच ने अपने गांव के 10 अपराधियों के लिए माफी का निवेदन करते रहे सरपंच कानून का संवैधानिक पद पर बैठा एक ऐसा व्यक्ति होता है जो कानून व्यवस्था को स्वयं पालन करने के साथ-साथ अपने गांव के नागरिकों पर भी समान रूप से लागू करने की भूमिका निभाता है जब कोई संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति अपराधिक व्यक्तियों का पक्ष में खड़ा रहेगा तो ऐसा कार्य प्रयास क्या अपराधों को संरक्षण प्रदान नहीं करता एवं पुनरावृत्ति को प्रोत्साहन प्रदान नहीं करेगा जहां भारत गांव में बसता है और गांव जंगल में और जंगली जानवरों का करना ग्राम वासियों के लिए भोजन एवं मनोरंजन का साधन माना जाता है जंगलों में बसे बनवासी शिकार को अपना दिनचर्या का अभिन्न कार्य मानता है ऐसी स्थिति में गांव में कानून और संविधान का संरक्षक सरपंच जैसे पद पर आसीन व्यक्ति ही होता है यह अलग बात है कि उक्त पदासीन व्यक्ति कानून का पालन परी पालन व्यवस्था को कितना निष्ठा और ईमानदारी से निर्वाह करता है और कराता है इसका जीवंत साक्ष्य सामने आने के कम ही मौका मिलता है अगर बात कोइलार सरपंच की करें तो सारी बातें स्पष्ट है ।
आखिर सवाल आकर इसी बात पर टिकती है क्या सरपंच जैसे पद पर बैठा व्यक्ति का ऐसा प्रयास क्या अपराधों का संरक्षक संरक्षण या संरक्षक की श्रेणी में नहीं माना जाएगाॽ
क्या ऐसी घटनाओं का पुनरावृत्ति के लिए प्रोत्साहन नहीं मिलेगा ॽ
क्या ऐसी घटनाओं का पुनरावृत्ति होने पर सरपंच अपना संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करेगाॽ क्या ऐसे व्यक्तियों को ऐसे पद पर आसीन रहना कानून व्यवस्था को लचीलता प्रदान नहीं करेगाॽ सबसे अहम सवाल क्या इस मामले में कोई सकारात्मक संदेश ऐसे पदाशीन व्यक्तियों के लिए एक सबक प्रस्तुत कर पाएगाॽ