लाल ईंट का अवैध रूप से निर्माण जोरो पर।

धरमजयगढ़ क्षेत्र में जमरगी डी मुख्य मार्ग किनारे लक्ष्मी नगर सुकवासु पारा में एवं कोरजा नदी के किनारे वृहद स्तर पर व्यवसायिक लाल ईंट के भट्टे संचालित हो रहे हैं।

लाल ईंटों का काला कारोबार खनिज विभाग की सुस्त कार्य प्रणाली इलाके में लाल ईंट के काले कारोबार पर अंकुश लगाने में विफल साबित हुआ है.

खनिज विभाग के एक साल में एक भी लाल ईंट के भट्ठों पर कार्रवाई की खबर नहीं है. खनिज विभाग की लापरवाही के कारण धड़ल्ले से वनों की कटाई चल रही है.।

ईंट के कारोबार में बड़ा हिस्सा कोयला का होता है. यह कोयला उद्योगों के नाम पर निकाला जाता है. अधिकतर कोयला चोरी का होता है. अधिकतर कोयला बिना बिल के लाए जाते हैं. खदानों से बिना टीपी के निकाला जाता है.
ईंट भट्ठों के लिए कोयला आसानी से उपलब्ध कराने में माफिया सक्रिय रहते हैं. जिले में सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में निर्माण कार्यों पर फ्लाई एेश से बनी ईंट व अन्य सामग्री का उपयोग अनिवार्य कर दिया है पर्यावरण संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लाल ईटों पर 2012-13 में प्रतिबंध लगा दिया है।
छत्तीसगढ़ शासन के आवास एवं पर्यावरण मंत्रालय ने आदेश जारी करते हुए सभी नगरीय निकायों समेत निर्माण एजेंसियों को मिट्टी से बनी ईंट का उपयोग बंद करने के निर्देश।
: दिए लाल ईंटों का काला कारोबार खनिज विभाग की सुस्त कार्य प्रणाली से इलाके में लाल ईंट के काले कारोबार पर अंकुश लगाने में विफल साबित हुआ है. खनिज विभाग के एक साल में एक भी लाल ईंट के भट्ठों पर कार्रवाई की खबर नहीं है. खनिज विभाग की लापरवाही के कारण धड़ल्ले से वनों की कटाई चल रही है.ईंट के कारोबार में बड़ा हिस्सा कोयला का होता है. यह कोयला उद्योगों के नाम पर निकाला जाता है. अधिकतर कोयला चोरी का होता है. अधिकतर कोयला बिना बिल के लाए जाते हैं. खदानों से बिना टीपी के निकाला जाता है. ईंट भट्ठों के लिए कोयला आसानी से उपलब्ध कराने में माफिया सक्रिय रहते हैं.