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हमे तो अपनों ने लुटा गैरो में कहां दम था।

सारे तथ्य को जोड़ के देखने से तो यही लगता है की सिंहासन की अभिलाषा में ही कांग्रेस ने अपनी नैया डुबो दिया। आखिर ऐसी क्या हो सकती है की मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इन दोनों के खेमे के एक भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर पाया। दोनों को तख्त ओ ताज कि अभिलाषा थी।ऐसे में जो भी विजयी होते दावेदारी उनकी पक्की होनी थी ऐसे हालात में दावेदार अगर दो हो तो वह क्या नहीं कर सकते ऐसा संकेत का आभास इसलिए हो रहा है क्योंकि दोनों महान हस्तियों का गढ़ और इनके खेमे के धुरंधर चुनाव हार गए जबकि प्रदेश के बाकी सभी जगह प्राय मिला-जुला असर रहा ऐसी हालत में यहां संभावना को संपूर्ण बल मिलता है कि यह दोनों महान हस्तियां एक दूसरे को निपटाने में ही अपने पांव में कुल्हाड़ी मार बैठे और यही वजह बना की आज छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को यह दिन देखने की नौबत आई।