शराबी पंचायत सचिव से बाधित हो रहा है पंचायत के काम काज। पंचायत सचिव मवेशी चराने में रहता है व्यस्त।
। पंचायत सचिव शराब बगैर नहीं कर सकता कोई काम। 5 महीने से नहीं बन पा रहा है ग्रामीणों का मृत्यु प्रमाण पत्र। पंचायत के सभी कामों में लग गया है ब्रेक। दिन की शुरुआत शराब से होती है सचिव नंदलाल राठिया की। नशे की हालत में पंचायत के कार्य करने की स्थिति में नहीं रहती है नंदलाल राठिया। इस सचिव से छुटकारा पाने बाबत ग्रामीणों ने मीडिया से लगाई गुहार। मीडिया ने जब भी पंचायत सचिव से संपर्क सभा वह मवेशी चराने की बात कहते हुए फोन काटता रहा। मुश्किल से मुलाकात होने पर वह पूरी अवस्था में शराब के नशे में धूत मिला।
ग्राम पंचायत में सचिव की भूमिका बहुत अहम होती है.सचिव, ग्राम पंचायत का प्रभारी होता है. वह ग्राम पंचायत से जुड़े सभी कामों का निष्पादन करता है. सचिव, ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन करता है और सुनिश्चित करता है कि बैठकें सुचारू रूप से चलें. इसके अलावा सचिव, ग्राम सभा की बैठक से जुड़ी कई ज़िम्मेदारियां निभाता है, जैसे कि: बैठक के लिए एजेंडा तैयार करना, बैठक की तारीख, समय, और जगह के बारे में जानकारी देना ,बैठक में शामिल होने वाले लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था करना कुलमिलाकर पंचायत सचिव, ग्राम पंचायत से जुड़ी सभी गतिविधियों पर नज़र रखता है. लेकिन रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकासखंड में दो चार ऐसे ग्राम पंचायत है जहां पंचायत सचिव सुबह से ही शराब पीकर धुत्त रहता है और पंचायत के विकास कार्यों से उसे कोई लेना देना नही होता जिसके कारण पंचायत के सभी विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित होते है.इसी तरह का एक मामला धरमजयगढ़ विकाखंड के ग्राम पंचायत क्रोंधा में देखने को मिल रहा है जहां का पंचायत सचिव नंदलाल राठिया सुबह से ही शराब पीकर धुत्त रहता है और पंचायत तक नहीं जाता ऐसे एक तरफ जहां उक्त ग्राम पंचायत के सभी विकास कार्य रुके हुए है वहीं सरपंच भी सचिव से भारी दुखी देखी जा रही है इस मामले में जब ग्राम दर्पण की टीम ग्राम पंचायत क्रोंधा पहुंची और सरपंच से इसके बारे में चर्चा किए तो पता चला कि उनके द्वारा कई बार उच्चाधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों को इससे अवगत कराया गया है लेकिन किसी प्रकार का ध्यान नही दिया जाता ऐसे में सरपंच अब किसी तरह अपना पंचवर्षीय कार्यकाल पूरा होने के आस में बैठी है आपको बता दे उक्त पंचायत सचिव को लेकर ग्रामीणों में भी भरी आक्रोश है लेकिन ग्रामीण करे तो करें क्या.वहीं इस तरह के शराबी पंचायत सचिव पर ना तो किसी प्रकार की कार्यवाही की जाती है और न ही ग्राम पंचायत क्रोंधा को दूसरा सचिव दिया जा रहा है जो सोचनीय विषय है.अब देखना यह है कि खबर आने के बाद उक्त पंचायत सचिव पर कोई कार्यवाही होती है या उसे अभयदान दे दिया जाता है यह समय आने पर पता चलेगा। मगर चलते चलते एक सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसे ऐसे। मदहोश और मदमस्त कर्मचारियों के भी सर पर हाथ रख कर अपना दाल रोटी चलाने वाले क्या कोई कार्यवाही होने देगी। शायद नहीं।