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रायपुर – विशाखापत्तनम एक्सप्रेसवे का मामला , भारतमाला परियोजना में करोड़ों का मुआवजा घोटाला।

,रायपुर: भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में बड़ा घोटाला सामने आया है। जाँच में खुलासा हुआ है कि केवल ₹35 करोड़ के मुआवजे की पात्रता के बावजूद ₹248 करोड़ बाँट दिए गए, जिससे सरकार को ₹213 करोड़ का नुकसान हुआ।

इस घोटाले में अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।

₹78 करोड़ के अतिरिक्त दावे से फूटा भांडामुआवजे के बचे हुए

₹78 करोड़ के लिए जब दावा किया गया, तो NHAI के अधिकारियों को शक हुआ। मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुँचाई गई और रायपुर कलेक्टर को जाँच के आदेश दिए गए। जाँच में पता चला कि रायपुर और धमतरी के व्यापारियों ने सरकार की योजना की जानकारी पहले ही प्राप्त कर ली थी और अधिकारियों के साथ मिलकर अनियमित रूप से जमीन खरीदकर बड़ा घोटाला किया।

अधिकारियों की भूमिका पर सवाल

इस घोटाले में तत्कालीन एसडीएम सूरज साहू, निर्भय साहू और तहसीलदार शशिकांत कुर्रे पर गंभीर आरोप लगे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर करोड़ों का मुआवजा बाँट दिया। हालाँकि, पूर्व एसडीएम निर्भय साहू ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उनका इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि वे अक्टूबर 2020 में पदस्थ हुए थे, जबकि यह अनियमितताएँ पहले ही हो चुकी थीं।विधानसभा में उठा मामला, सरकार पर दबावयह मामला विधानसभा में भी गूँजा, जहाँ नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सरकार से जवाब माँगा।

उन्होंने पूछा कि 32 प्लॉट के 142 फ्लैट आखिर किसके हैं? इस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। महंत ने सरकार पर आरोप लगाया कि जाँच रिपोर्ट मिलने के बावजूद मामला दबाया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री को निर्देश दिए कि वह महंत को इस मामले की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएँ।

रायपुर-विशाखापट्टनम एक्सप्रेसवे घोटाला: 32 प्लॉट के 142 टुकड़े कर बढ़ाया मुआवजा रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच बनने वाले एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण में बड़ा घोटाला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, 32 प्लॉट को छोटे-छोटे 142 टुकड़ों में बांटकर मुआवजा 35 करोड़ से बढ़ाकर 326 करोड़ रुपये कर दिया गया।

कैसे हुआ घोटाला?

सरकार के भूमि अधिग्रहण नियमों के अनुसार, यदि ग्रामीण क्षेत्र में किसी भूखंड का आकार 500 वर्गमीटर से कम होता है, तो उसके लिए अधिक मुआवजा दिया जाता है। इसी नियम का फायदा उठाते हुए, रसूखदारों और अधिकारियों ने मिलकर बड़े प्लॉट्स को छोटे टुकड़ों में बांटा और अधिक मुआवजा हासिल किया।248 करोड़ का वितरण हो चुका!रिपोर्ट के अनुसार, 248 करोड़ रुपये पहले ही बांटे जा चुके हैं। जांच में यह सामने आया कि इस खेल के पीछे कौन अधिकारी और रसूखदार शामिल थे।

जांच जारी, कई अधिकारी रडार पररायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर परियोजना के इस घोटाले को लेकर उच्च स्तरीय जांच शुरू हो चुकी है। अफसरों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, और जांच के बाद कार्रवाई संभव है।यह घोटाला भारतमाला परियोजना के तहत हो रहे भूमि अधिग्रहण में भ्रष्टाचार की एक बड़ी मिसाल बनकर उभरा है।

मुख्य बिंदु:

₹248 करोड़ का मुआवजा वितरण और नियमों की अनदेखी

:इस मामले में कुल ₹248 करोड़ का मुआवजा बाँटा गया।सूचना के प्रकाशन के बाद जमीन का डायवर्जन और बंटवारा प्रतिबंधित होता है, लेकिन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करके लाभ उठाया।तत्कालीन एसडीएम सूरज साहू, निर्भय साहू और तहसीलदार शशिकांत कुर्रे पर मिलीभगत के आरोप लगे हैं।₹78 करोड़ के अतिरिक्त दावे से मामला उजागर हुआ:

जब ₹78 करोड़ का अतिरिक्त दावा किया गया तो NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के अधिकारियों को शक हुआ।मामला उच्च अधिकारियों तक पहुँचा और फिर जाँच के लिए रायपुर कलेक्टर को निर्देश दिए गए।

जाँच में सामने आया कि केवल ₹35 करोड़ का मुआवजा बनता था, लेकिन ₹213 करोड़ ज्यादा बाँट दिए गए थे।रायपुर और धमतरी के व्यापारियों ने सरकार की योजना के बारे में पहले से जानकारी पाकर जमीन खरीद ली थी और अधिकारियों के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया।पूर्व एसडीएम निर्भय साहू ने पल्ला झाड़ा:

तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू ने कहा कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।उन्होंने बताया कि वे अक्टूबर 2020 में पदस्थ हुए थे, जबकि यह अनियमितताएँ उनके कार्यभार सँभालने से पहले हो चुकी थीं।उन्होंने तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की ओर इशारा किया कि उनके कार्यकाल में यह हुआ होगा।विधानसभा में मामला उठा:

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस मामले को विधानसभा में उठाया।उन्होंने पूछा कि 32 प्लॉट के 142 फ्लैट आखिर किसके हैं?इस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा जवाब नहीं दे सके।महंत ने सरकार पर आरोप लगाया कि जाँच रिपोर्ट मिलने के बावजूद मामला दबाया जा रहा है।विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री को निर्देश दिया कि महंत को पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

यह मामला एक बड़े भूमि अधिग्रहण और मुआवजा घोटाले को दर्शाता है, जिसमें व्यापारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। जाँच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि वास्तविक मुआवजा राशि से कई गुना अधिक भुगतान किया गया था। अब यह मामला विधानसभा तक पहुँच गया है, और विपक्ष सरकार से जवाब माँग रहा है!

भारतमाला परियोजना में ₹213 करोड़ का मुआवजा घोटाला, जाँच में खुलासारायपुर: भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में बड़ा घोटाला सामने आया है। जाँच में खुलासा हुआ है कि केवल ₹35 करोड़ के मुआवजे की पात्रता के बावजूद ₹248 करोड़ बाँट दिए गए, जिससे सरकार को ₹213 करोड़ का नुकसान हुआ। इस घोटाले में अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।

₹78 करोड़ के अतिरिक्त दावे से फूटा भांडामुआवजे के बचे हुए ₹78 करोड़ के लिए जब दावा किया गया, तो NHAI के अधिकारियों को शक हुआ। मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुँचाई गई और रायपुर कलेक्टर को जाँच के आदेश दिए गए। जाँच में पता चला कि रायपुर और धमतरी के व्यापारियों ने सरकार की योजना की जानकारी पहले ही प्राप्त कर ली थी और अधिकारियों के साथ मिलकर अनियमित रूप से जमीन खरीदकर बड़ा घोटाला किया।

अधिकारियों की भूमिका पर सवाल ।

इस घोटाले में तत्कालीन एसडीएम सूरज साहू, निर्भय साहू और तहसीलदार शशिकांत कुर्रे पर गंभीर आरोप लगे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर करोड़ों का मुआवजा बाँट दिया। हालाँकि, पूर्व एसडीएम निर्भय साहू ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उनका इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि वे अक्टूबर 2020 में पदस्थ हुए थे, जबकि यह अनियमितताएँ पहले ही हो चुकी थीं।

विधानसभा में उठा मामला, सरकार पर दबावयह मामला विधानसभा में भी गूँजा, जहाँ नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सरकार से जवाब माँगा। उन्होंने पूछा कि 32 प्लॉट के 142 फ्लैट आखिर किसके हैं? इस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। महंत ने सरकार पर आरोप लगाया कि जाँच रिपोर्ट मिलने के बावजूद मामला दबाया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री को निर्देश दिए कि वह महंत को इस मामले की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएँ।

क्या होगा अगला कदम?

इस घोटाले को लेकर अब राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। केंद्र सरकार के दबाव के बाद राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। अब देखना होगा कि क्या दोषी अधिकारियों और व्यापारियों पर कार्रवाई होती है या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।

परितोष मंडल

परितोष मंडल संवाददाता (ग्राम दर्पण) धरमजयगढ़, संतोष नगर वार्ड क्रमांक 8 जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़

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