फर्जी लायल्टी बिल से बन रहा है करोड़ों का छात्रवास।
धरमजयगढ़।बागंरसुता में इन दोनों एक ताजा तरीन फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया जा रहा है।
ग्रामीणों को नहीं पता आखिर यह भवन किस उपयोग के लिए बन रहा हैॽ
नहीं लगाया गया शिलालेख। निर्माण संबंधित जानकारी सार्वजनिक नहीं करना संदेह को बल मिलता है।
जिस किसी संबंधित अधिकारी को इस फर्जीवाड़ा खेल को देखने की जरूरत महसूस होगी वह मौका मुवामना कर इस खेल को देखकर समझ सकता है ।
धर्मजयगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत बांगरसुता में बनने वाला करोड़ का यह छात्रावास ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है ग्रामीणों के अनुसार यह छात्रावास बहुत ही गुणवत्ताहीन निर्माण का शिकार हो रहा है इस निर्माण को देखने के लिए कभी-कभी कोई जांच अधिकारी देखकर चला जाता है मगर निम्न स्तर की इस निर्माण को लेकर अधिकारी गंभीर नजर नहीं आता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस छात्रावास की निर्माण में उपयोग होने वाली रेत को ग्राम पंचायत बांगरसुता सरपंच के द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है जिसे निकटवर्ती माण्ड नदी से बिना रॉयल्टी परिवहन कर लाया जा रहा है।
एवं इस भवन के निव/ बेस निर्माण के लिए निकटवर्ती जंगल से पत्थर लाकर उपयोग में लाया गया है अगर ग्रामीणों के द्वारा लगाया गया आरोप को सही मान लिया जाए तो यह मामला शासन को अंधेरे में रखकर अंजाम दिया जा रहा है क्योंकि कोई भी शासकीय निर्माण में उपयोग होने वाली खनिज सामग्रियों की बिल लायल्टी बिल होनेपर ही स्वीकृत होती है ऐसी स्थिति में इन तमाम बिल को फर्जी रूप से बनाया एवं स्वीकृत कराया जाएगा जिसका लाभ निश्चित रूप से इस प्रोजेक्ट के ठेकेदार सोनू अग्रवाल खरसिया वाले को मिलेगा मिली जानकारी के हिसाब से इस प्रोजेक्ट का मुख्य ठेकेदार सोनू अग्रवाल है एवं पेटी ठेकेदार चिराग अग्रवाल एवं मजदूर मिस्त्री ठेकेदार आरती राठिया है यह प्रोजेक्ट ग्राम पंचायत सरपंच बांगर सुता के देखरेख एवं बालू ठेकेदार के रूप में संचालित हो रहा है। गौर करने वाली बात यहा भी है कि कोई भी शासकीय निर्माण में शिलालेख का स्थापना अनिवार्य होता है जिसका यहां पर उल्याघंन किया गया है निर्माण स्थल पर शिलालेख का स्थापना नहीं किया गया है जिस कारण ग्रामीणों को भी पता नहीं चल पा रहा है कि यहा भवन आखिर क्या बन रहा है एवं इसका लागत कितना है इन तमाम परिस्थितियों के साथ सरे आम इस निर्माण को फर्जीवाड़ा के रूप में अंजाम दिया जा रहा है। निर्माण ठेकेदार को कायदे कानून की परवाह नहीं होना स्पष्ट संकेत है कि इस खेल में ऊंची स्तर का सहयोग भरपूर मिल रहा है।