धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथी से एक की मौत एक गंभीर।घटना ग्राम सोहनपुर का है।
हाथीयों के आतंक से दहल रहा है धरमजयगढ़ वन मंडल ।
एक दिन में हाथी के दो कारनामे एक की मौत एक की हालत नाजुक धर्म जाएगा वन क्षेत्र में सैकड़ो की तादाद में हाथियों का महादल कर रहा है विचारण घटना धरमजयगढ़ वन मंडल के बाकारुमा रेंज का है ।
वन विभाग हमेशा की तरह शायद गलती इंसान के ही सर डालेंगे क्योंकि वन विभाग गांव वालों के विचरण पर रोक लगा सकता है। जानवरों के विचरण पर नहीं वैसे वन कर्मी भी आजकल अपने परिक्षेत्र में विचरण करना छोड़ दिए हैं ।
तभी गांव वालों को हाथी के संबंध में समय पर जानकारी नहीं मिल रहा है और ना ही कोई सहयोग समय पर मिलता है गांव वालों का कहना है वन कर्मियों को सूचना देने पर भी वे ग्रामीणों के सहयोग के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं। ग्रामीण अपने हालात से स्वयं निपट रहे हैं ग्रामीण क्षेत्र में फसल एवं जान माल की हानि लगातार जारी है।
आज फिर हाथी ने मारा इंसान को क्या इंसान गांव छोड़ पाएगाॽ या सरकार जानवर भूल पाएगा ॽ
महत्वपूर्ण कौन इंसान या जानवर या स्पष्ट होना आवश्यक हो गया है। सरकार को जानवर प्यारा है क्योंकि जानवर की संरक्षण के लिए सरकार को फंड मिलता है। इंसान को जगह चाहिए रहने के लिए जो गांव में मिलता है। और जानवर को जंगल चाहिए जहां गांव मिलता है सरकार को वोट चाहिए जो जनता से मिलता है और जनता को नोट चाहिए जो सरकार से मिलता है सरकार को नोट जानवरों संरक्षण से मिलता है यह बात इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो जनता की जान पर मुआवजा का खेल और जानवर के जान पर जनता को जेल वाला प्रावधान नहीं होता ऐसा ही मामला धरमजयगढ़ के वन मंडल में वन परिक्षेत्र बाकारूमा रेंज के अंतर्गत का है जहां शिव प्रसाद राठिया अपने साथियों के साथ कडेना जा रहा था अचानक हाथियों के आधमकने से वह हाथी का शिकार हो गया दूसरा मामला तेजपुर के राय सिंह राठिया का है जो कि किसी कारणवश हाथी के सामने आ गए जिसे हाथी ने पटक कर घायल कर दिया जिनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है ।यह दोनों घटना में आधा घंटा का फासला बताया जा रहा है अब सवाल यह उठता है कि धरमजयगढ़ वन मंडल में जब सैकड़ो हाथियों का एक महादल विचरण कर रहा है। जिसे ग्राम कोईलार में ग्रामीणों के द्वारा खदेड़ा गया है।
जिसका वीडियो सामने आ रहा है ऐसी स्थिति में वन विभाग क्या कर रहा हैॽ इनका काम ग्रामीणों को सूचित करना होता है वह भी वन विभाग के कर्मचारी नहीं कर पा रहे हैं ।ऐसा ग्रामीणों का कहना है वनांचल ग्रामीण क्षेत्र में समय रहते नहीं कोई मुनादी हो रहा है नाहीं कोई वन कर्मी अपने परिक्षेत्र में दर्शन दे रहे हैं ।ऐसा ग्रामीणों का कहना है जब कोई अनहोनी घटित हो जाता है तभी वन कर्मी सक्रिय मुद्रा में आ रहे हैं ।ऐसा ग्रामीणों का कहना है। वनकर्मी अगर सिर्फ महीने की समाप्ति और पगार प्राप्ति को छोड़कर अगर अपने कर्तव्य को समझने लगेंगे ।
तो निश्चित ही दुर्घटना में कमी आने की पूरी संभावना है मगर यहां तो वन कर्मी अपने परिक्षेत्र या अपने ठहरने का रूम में नहीं मिल रहा है तो इनका काम तो रामभरों से ही है अधिकारी गण तो अपने मुख्यालय में चिर निद्रा में मगन है भला हो ऐसी व्यवस्था का जहां सब कुछ राम भरोसे हो रहा है।