धरमजयगढ़ के किसान खुन के आंसु रो रहा है शासन चैन के निदं सो रहा है। राजनंद गांव में किसान आत्महत्या कर लिया अब धरमजयगढ़ मे भी शायद यही होने वाला है।

किसान खून के आंसू रो रहा है शासन चैन की नींद सो रहा है। रायगढ़ जिले के तहसील धर्मजयगढ़ के किसान बिजली नहीं मिलने के कारण बर्बादी के कगार पर खड़ा है बिजली की समस्या के कारण किसानों के खेत सूख गए हैं फसल बर्बाद हो गया है किसान अपनी जमा पूंजी खेती-बाड़ी में लगाकर पछता रहा है भरी फसल को सुखा हालत में छोड़कर किसान घर बैठकर रो रहा है किसानों ने कई बार अपने स्तर पर अधिकारियों से मिन्नतें लगाकर देखा जब बात नहीं बनी तो चक्का जाम भी करके दिखा मगर यहां जितनी फरियादे की जा रही है जितनी आंदोलन की जा रही है विद्युत विभाग द्वारा उतना ही क्रूरता पूर्वक अत्याचार किसानों पर किया जा रहा है क्षेत्र का किसान ने जब चक्का जाम किया तो विद्युत विभाग के अधिकारी लिखित आश्वासन दिया था की कुछ दिनों में विद्युत व्यवस्था मे सुधार की जाएगी मगर आंदोलन समाप्ति के बाद विद्युत व्यवस्था और ही बिगाड़ दिया गया है। आंदोलन करना आज किसानों के लिए बेहद ही महंगा साबित हो गया ।आंदोलन करने के बाद अधिकारी के द्वारा विद्युत व्यवस्था को पूरी तरह से बिगाड़ दिया गया है इससे किसान अपनी खड़ी फसल को छोड़कर घर आ गए हैं एवं खेत को सूखने के हालात पर छोड़ दिया गया है पानी नहीं मिलने से पूरे धर्मजयगढ़ ब्लॉक में किसानों में मातम छाया हुआ है मगर विडंबना देखिए भारत शासन विद्युत की अधिकतर कोटा किसानों के लिए मुफ्त रखा है और किसानों के हित की बात करते हुए सत्ता में बैठते हैं ।आज वही किसान रो रहा है चित्कार लग रहा है और इन्हीं किसानों का कोई सुनने वाला आज नहीं है और ना ही इनके तरफ कोई प्रशासनिक दया दृष्टि पड़ रहा है आखिर आंदोलन करना इतना महंगा क्यों साबित हो रहा है किन के शह पर विद्युत अधिकारी किसानों से चुन चुन कर बदला ले रहा है ।आखिर इतनी बड़ी हिम्मत अधिकारी में कौन पैदा कर रहा है आज विद्युत अधिकारी धरमजयगढ़ क्षेत्र का सर्वे सर्वा हो गया है विद्युत अधिकारी पर किसी का बस नहीं रहा है ।किसी की भी नहीं चल रहा है आखिर इतना पावरफुल अधिकारी को धरमजयगढ़ की जनता क्यों बर्दाश्त कर रही है और कब तक बर्दाश्त करेगी और बर्दाश्त करने का क्या कारण है ऐसा क्या कमजोरी है धरमजयगढ़ के जनप्रतिनिधियों में जो एक प्यादा सा अधिकारी पर अपना कोई प्रभाव असर नहीं दिखा पा रहा है। किन-किन की इस षड्यंत्र में अहम भूमिका हो सकती है ।अगर लोगों की माने तो भाजपा शासन से पहले कांग्रेस शासन में विद्युत व्यवस्था की ऐसा रोना नहीं था जब-जब क्षेत्र में की सत्ता परिवर्तन हुआ है किसानों को बिजली के लिए रोना पड़ा है क्या यह बात सही साबित हो रहा हैॽ क्या इन लोगों का कहना सही हैॽ विद्युत अधिकारियों को कहना है कि भारतमाला प्रोजेक्ट में विद्युत की आपूर्ति की जा रही है जिस कारण क्षेत्र में विद्युत की व्यवस्था में सुधार हो पाना नामुमकिन है जबकि सरकार उद्योग एवं सड़क निर्माण हेतु आवश्यक बिजली की कोटा अलग से निर्धारित किया है। एवं किसानों के लिए अलग से कोटा निर्धारित किया है जब सभी का अलग-अलग कोटा है तो भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए दी जा रही बिजली के कारण किसानों की बिजली में कमी क्यों आ रही है ॽकहीं ऐसा तो नहीं कि किसानों का कोटा को भारत माला को सस्ते दरों पर गलत तरीके से उपलब्ध कराया जा रहा है क्योंकि भारतमाला प्रोजेक्ट में लगने वाली विद्युत की कोटा अलग से निर्धारित है एवं किसानों के लिए बिजली की कोटा अलग से निर्धारित है फिर किसनो की बिजली कोटा को क्यों कम किया जा रहा हैॽ क्षेत्र में आए दिन कहीं ना कहीं किसान सड़क पर बैठ रहा है मगर प्रशासन के कान तक या शासन के कान तक आवाज नहीं पहुंच रहा है विद्युत के मामले में छत्तीसगढ़ स्वयं आत्मनिर्भर है आज छत्तीसगढ़ की किसानों को बिजली नहीं मिल पा रही है आज छत्तीसगढ़ के कोयला से विद्युत बनाया जा रहा है आज छत्तीसगढ़ में किसान सशक्त बनने की कगार पर अग्रेषित हो रहा था ।मगर उनकी कमर तोड़ी जा रही है जब कोरोना काल में जब सारे कल कारखाने बंद हो गए थे सारे आर्थिक व्यवस्था ठप्प हो गई थी तो किसानी ही एक ऐसा क्षेत्र था जो देश को मजबूत एवं सशक्त बनने में प्रमुख भूमिका निभाई थी जब कोरोना काल में सारे दरवाजे बंद हो गए थे तो यही किसान देश को डगमगाने नहीं दिया था आज किसान स्वयं डगमगा रहा है हताश होकर खून के आंसू रो रहा है और शासन है की चैन के नींद सो रहा है आखिर यह कहां की इंसाफ है। वर्तमान समय में धर्मजयगढ़ क्षेत्र के किसान पूरी तरीके से अपना खेती-बाड़ी को बचाने में असफल होकर भविष्य की चिंता में उदास बैठे हैं। किसी ने कर्ज ले रखा है वह कर्ज किस तरह चुकाएगा इस चिंता में उदास बैठा है किसनो की अधिकतर फासले कर्ज और ब्याज लेकर ही किया जाता है शासन का ध्यान किसनो की ओर क्यों नहीं है ॽआज जब किसानों के खराब हो गए हैं हालात। तो कौन सुनेगा श्रीमान जी के मन की बात। समय समय रहते हुए अगर किसानों की समस्या को ध्यान में नहीं रखा गया तो आने वाले समय में सत्ता को इसकी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।