कापु रोड निर्माण में दफन हो रहे पेड़ों के वारिस कौन।



धरमजयगढ़। धरमजयगढ़ से कापू तक बनने वाली सड़क के लिए आज लाखों पेड़ों को जड़ सहित उखाड़ कर एवं काटकर कहीं भी फेंका जा रहा है यहां तक की पहाड़ काटकर जिस स मिट्टी को नदी के किनारे पाटा जा रहा है इस मिट्टी के नीचे हजारों पेड़ को दबाकर दफन किया जा रहा है आखिर इन पेड़ों का वास्तविक वारिस कौन है क्या यह पेड़ लावारिस है क्या इस पेड़ों का कोई उपयोगिता नहीं है क्या इन पेड़ों का कोई आवश्यकता नहीं है क्या इन पेड़ों की हानि से राजस्व की हानि नहीं है क्या इन पेड़ों को सुरक्षित करना या इन कटे हुए पेड़ों को एकत्रित कर राजस्व की खजाना में इजाफा नहीं हो सकता था क्या इन पेड़ों को कभी गिनती में नहीं लिया गया ।
























































जी हां धरमजयगढ़ से कापू तक बनने वाली रोड के मध्य पढ़ने वाली तमाम पेड़ों को काटकर यात्रा फेंका जा रहा है जीसीपी से उकार कर मिट्टी के नीचे दबाया जा रहा है ऐसा नहीं है कि इन सारे कारनामे पर किसी का नजर नहीं पड़ रहा है यह एक मुख्य मार्ग होने के नाते इस रास्ते से सभी वर्ग के लोगों का आना-जाना लगातार बना रहता है सभी विभागीय अधिकारियों का इस सड़क से गुजरना होता है है मगर किसी ने आज तलक यहां न जाने ना बोलने की जरूरत की की आखिर इन पेड़ों को बेवजह व्यर्थ क्यों किया जा रहा है इन पेड़ों को सुरक्षित कर या एकत्रित कर स्थानीय वन विभाग अपने कैसतदार में क्यों नहीं ले रहा है क्या इससे राजस्व की हानि नहीं हो रही है मगर इन सारे चीजों को अनदेखा किया जा रहा है ठेकेदारों का हौसले बुलंद है इन पर किसी भी प्रकार का नियम कानून लागू नहीं हो रहा है कहीं ना कहीं इसकी वजह संबंधित अधिकारियों का मौन रहना है आज जब कोई गरीब अपनी झोपड़ी बनाने एवं चलाओ लकड़ी के लिए दो चार कटे पेड़ों को अगर अपने उपयोग के लिए ले जाते दिख जाए तो संबंधित अधिकारी उसे पर जुर्माना का कार्रवाई कर देता है मगर आज इन लाखों की तादाद में पेड़ों को बर्बाद करके दफनाया जा रहा है इस पर संबंधित कार्यवाही नहीं होना या संबंधित विभाग द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाना यह साबित करता है कि सारे नियम कायदे कानून केवल और केवल गरीबों के लिए बना है।




सवाल यह उठ रहा है की सभी के जानकारी के बावजूद इतनी मात्रा में यह पेड़ बेकार क्यों हो रहे हैं क्यों वन विभाग इनको एकत्र कर अपने कैसतदार में नहीं ले रहा है सवाल आने को है मगर इन सवालों का जवाब ना कोई पूछने वाला है ना कोई देने वाला है।